Category: ब्लॉग

कानूनी सख्ती से ही थमेंगी बाल तस्करी की घटनाएं

सुरेश राजपूत बाल तस्करी के खिलाफ कई सख्त कानूनी प्रावधानों के बावजूद भारत में यह समस्या नासूर बनती जा रही है। दिल्ली में सीबीआइ की छापेमारी के दौरान अस्पताल से नवजात बच्चे चुराने वाले गिरोह के पर्दाफाश से फिर यह तथ्य उभरा है कि बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने वालों में कानून का कोई […]

जमीनी हालात एनडीए के अनुकूल नहीं

हरिशंकर व्यास लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव के इतना कुछ करने के बावजूद बिहार में अब भी उम्मीद है। जमीनी हालात एनडीए के अनुकूल नहीं दिख रहे हैं। नरेंद्र मोदी की लहर या अयोध्या की राम लहर का ज्यादा असर नहीं दिख रहा है। यही कारण है कि मतदाता किसी लहर से प्रभावित होकर या […]

मध्यम अवधि की आर्थिक नीति

सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उसकी योजना एक विकसित भारत तैयार करने की है। इस लक्ष्य के लिए कई तिथियों के सुझाव सामने आए, हालांकि सबसे अधिक जिक्र 2047 का है जब देश की आजादी की 100वीं वर्षगांठ होगी। ऐसी महत्त्वाकांक्षा तय करना एकदम उचित है। बहरहाल, ऐसे लक्ष्य के लिए जिस […]

रिजर्व बैंक की 90 वर्षों की निरंतर मजबूती की गाथा

तमाल बंद्योपाध्याय भारतीय रिजर्व बैंक ने सोमवार 1 अप्रैल को 90वें वर्ष में प्रवेश कर लिया। दुनिया के दो अन्य बैंक 90 से 99 वर्ष के बीच हैं। वे बैंक ऑफ अर्जेन्टीना और बैंक ऑफ कनाडा हैं जो 1935 में स्थापित हुए। केंद्रीय बैंकों का इतिहास 17वीं सदी का है जब 1668 में स्वीडिश रिक्सबैंक […]

रफ्तार के नए सौदागर मयंक यादव

मनोज चतुर्वेदी क्रिकेट में पेस गेंदबाजी की बात है तो पिछले एक दशक में भारत ने इस क्षेत्र में खासी तरक्की की है। ईशांत शर्मा के बाद से शुरू हुए सिलसिले ने जसप्रीत बुमराह की सफलताओं के बाद इस क्षेत्र में खासी तरक्की देखी गई है। दो-तीन साल पहले उमरान मलिक के आईपीएल में सबसे […]

विपक्षी इंडिया गठबंधन की रामलीला मैदान में रैली की सफलता

नेताओं के जुटान के नजरिए से देखा जाए तो विपक्षी इंडिया गठबंधन की दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली एक सफल रैली थी। इसने अपने अंतर्विरोधों के साथ और उसके बावजूद भी एकजुटता जाहिर की है, जिससे यह संदेश गया है कि इंडिया में एनडीए को चुनौती देने का दम-खम है। भ्रष्टाचार के कथित मामले […]

सूचना का अधिकार- पारदर्शिता की व्यापक पहचान पर ध्यान दें

भारत डोगरा मई 2005 में जब भारतीय संसद ने सूचना के जन-अधिकार का राष्ट्रीय स्तर का कानून पास किया तो लोकतंत्र को सशक्त करने वाले एक महत्त्वपूर्ण कानून के रूप में इसकी सराहना की गई। कई तरह के उतार-चढ़ाव के बाद अंत में भारत में जो राष्ट्रीय स्तर का कानून पास हुआ वह थोड़ी-बहुत कमियों […]

 विकास और प्रतिष्ठा के आधार पर मतदान की संभावना

डा. रवीन्द्र अरजरिया चुनावी काल की राजनैतिक सरगर्मियों के मध्य विदेशी ताकतों के व्दारा देश की आन्तरिक व्यवस्था पर टिप्पणियों का दौर प्रारम्भ हो गया है। दुनिया की व्यवस्था की स्वयंभू ठेकेदारी सम्हालने वाले भारत के स्वरूप को अपने ढंग से नियंत्रित करने का प्रयास करने लगे हैं। स्वाधीनता के बाद की इण्डिया का भारत […]

दिल्ली में क्या होगा उप राज्यपाल का अगला कदम

आदिति फडणीस दिल्ली सरकार को 25 मई के पहले बर्खास्त किया जाएगा या उसके बाद? फिलहाल यही इकलौता प्रश्न है। दिल्ली में उसी दिन लोक सभा चुनाव हैं। उसके पहले कोई कदम उठाने पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिल्ली की सीटें जीतने की संभावना पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा जेल में बंद […]

भारत में रोजगार के अवसर

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) तथा मानव विकास संस्थान ने मिलकर एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें सन 2000 के बाद से भारत में रोजगार के उपलब्ध आंकड़ों का व्यापक विश्लेषण किया गया है। वर्ष 2012 तक यह सर्वे रोजगार और बेरोजगारी के सर्वेक्षणों पर निर्भर था और 2019 से 2022 तक के आंकड़ों के लिए […]

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